हम अस्पताल में कई डॉक्टरों और नर्सों को सफेद कोट पहने देखते हैं। डॉक्टर, पुलिस व वकील आदि किसी भी पेशे में काम करने वाले लोगों की अपनी एक अलग पहचान होती है। विभिन्न व्यवसायों में वर्दी का रंग भी अलग-अलग होता है, जैसे डॉक्टर ज्यादातर सफेद कोट और वकील काला कोट पहनते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि डॉक्टर सफेद कोट क्यों पहनते हैं।
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सफेद लंबा कोट या लैब कोट यानी एप्रन चिकित्सा क्षेत्र के पेशेवरों द्वारा पहना जाता है। यह कोट कपास, लिनन, पॉलिएस्टर या दोनों के मिश्रण से बना होता है और इसके कारण इन्हें उच्च तापमान पर धोया जा सकता है और इसके सफेद रंग के कारण यह जानना आसान है कि वे साफ हैं या नहीं।
लैब वैज्ञानिकों से सफेद कोट अपनाया गया
19वीं सदी के मध्य से पहले केवल प्रयोगशालाओं में काम करने वाले वैज्ञानिक ही लैब कोट पहनते थे, जो हल्के गुलाबी या पीले रंग का होता था। उस समय प्रयोगशाला वैज्ञानिकों ने औषधियों द्वारा किये गये उपचार को बेकार दिखाकर चिकित्सकों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचायी थी।
उस समय जनता और शासकों द्वारा वैज्ञानिकों की प्रशंसा की जाती थी और डॉक्टरों या वैद्यों पर अधिक विश्वास नहीं किया जाता था। इसलिए, चिकित्सा पेशा विज्ञान की ओर मुड़ गया। इस प्रकार डॉक्टरों या चिकित्सकों ने वैज्ञानिक बनने का निर्णय लिया।
आखिरकार, बाद में यह सोचा गया कि प्रयोगशालाओं में किए गए आविष्कार निश्चित रूप से बीमारियों को ठीक करने में सफलता प्रदान कर सकते हैं। इसलिए, डॉक्टर या चिकित्सक खुद को वैज्ञानिक के रूप में प्रस्तुत करना चाह रहे थे और इसलिए उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोगशाला कोट को अपने कपड़ों के मानक के रूप में अपनाया और डॉक्टरों ने 1889 ईस्वी में एक पहचानने योग्य प्रतीक के रूप में कोट पहनना शुरू कर दिया।
जब मेडिकल प्रोफेशन द्वारा लैब कोट को अपनाया गया, तो उन्हें कोट का रंग सफेद पसंद आया। इसके अलावा आधुनिक सफेद कोट को कनाडा में चिकित्सा में डॉ. जॉर्ज आर्मस्ट्रांग (1855-1933) द्वारा पेश किया गया था, जो मॉन्ट्रियल जनरल अस्पताल में एक सर्जन और कनाडाई मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष थे।
आखिर सफेद रंग ही क्यों चुना गया
सफेद रंग को चिकित्सा पेशे के नए मानक के रूप में अच्छे कारण से चुना गया है। शुद्धता का प्रतीक यह रंग चिकित्सक द्वारा कोई नुकसान न करने की प्रतिबद्धता दर्शाता है। इसके अलावा सफेद रंग अच्छाई का प्रतिनिधित्व करता है। सफेद रंग स्वच्छता को व्यक्त करता है और उद्देश्य की गंभीरता, संक्रमण को दूर करने आदि का भी प्रतीक है।
इसके अलावा सफेद कोट चिकित्सक के चिकित्सीय इरादे को बताता है और एक प्रतीकात्मक बाधा के रूप में कार्य करता है, जो डॉक्टर और रोगी के बीच पेशेवर दूरी बनाए रखता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सफेद रंग को शांति का रंग, करुणा का वस्त्र और डॉक्टरों द्वारा अपने मरीजों का इलाज करने और उन्हें राहत महसूस करने के लिए प्रदान किया जाने वाला आराम माना जाता है।
इसलिए डॉक्टर हमेशा सफेद कोट पहनते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि अस्पताल आने के बाद तनावपूर्ण माहौल में भी मरीज सकारात्मक रह सकते हैं, इसलिए डॉक्टर हमेशा सफेद कोट पहनते हैं। इसलिए बीसवीं सदी से डॉक्टरों ने सफेद कोट पहनना शुरू कर दिया था।
एक आंतरिक सर्वेक्षण आयोजित किया गया था, जिसमें सफेद कोट पहनने वाले डॉक्टरों के कुछ परिणाम दिखाए गए हैं:
– सफेद कोट को मरीज, नर्स और अन्य डॉक्टर आसानी से पहचान लेते हैं।
– सफेद कोट में बड़ी जेब होने के कारण स्टेथोस्कोप आदि ले जाने में आसानी होती है।
– डॉक्टरों के लिए सामाजिक अपेक्षाओं का पालन करना।
– आसपास और मरीजों से होने वाले संक्रमण से खुद को बचाना।
– इससे स्वच्छता का आभास होता है।
एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि 82% बाल रोग विशेषज्ञ या मनोचिकित्सक अपनी पेशेवर पोशाक के रूप में सफेद कोट पहनना पसंद नहीं करते हैं। उनका मानना है कि यह बच्चों और मानसिक रूप से परेशान रोगियों के साथ संचार को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
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Source: tiengtrunghaato.edu.vn