भारत अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यही वजह है कि हर साल यहां बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी खींचे चले आते हैं और अपने साथ यहां की यादों को समेटकर विदेश लौटते हैं। वर्तमान में भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं, जिनमें 4000 से अधिक शहर हैं।
यहां हर शहर का अपना इतिहास और कहानी है, जो वर्षों से शहर के साथ जुड़ी हुई है। इसके अलावा शहरों की अपनी विशेषताएं हैं, जिससे शहरों को वैश्विक स्तर पर ख्याति मिली है। इस कड़ी में भारत को उनके मूल नाम के अलावा उपनाम से भी जाना जाता है।
ऐसे में क्या आप जानते हैं कि भारत के किस शहर को ‘City of Music’ के नाम से जाना जाता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
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किस शहर को कहा जाता है ‘City of Music’
भारत के अलग-अलग शहरों की अपनी पहचान है। ऐसे में आपको बता दें कि मध्यप्रदेश राज्य के ग्वालियर शहर को संगीत का शहर यानि कि ‘City of Music’ के नाम से जाना जाता है।
हाल ही में UNESCO ने दी है पहचान
आपको बता दें कि विश्व में धरोहर स्थलों को पहचान देने वाली संस्था यानि UNESCO की ओर से 31 अक्टूबर को विश्व शहर दिवस के अवसर पर 55 शहरों को यूनेस्कों की सूची में शामिल किया है, जिसमें भारत के भी शहर हैं। ऐसे में ग्वालियर शहर को अपनी संगीत संस्कृति के लिए पहचान मिली है।
क्यों कहा जाता है ‘City of Music’
अब सवाल है कि आखिर ग्वालियर को संगीत का शहर क्यों कहा जाता है, तो आपको बता दें कि संगीत की दुनिया में ग्वालियर घराना भी जाना जाता है, जहां से अकबर के नवरत्नों में शामिल तानसेन थे।
वहीं, इस घराने में संगीत सम्राट बैजू बावरा का नाम भी आदर से लिया जाता है, जो कि एक ध्रुपदगायक थे। बैजू ग्वालियर के राजा मानसिंह के दरबार में गायक थे। बैजू बावरा अपनी मधुर आवाज के लिए जाने जाते थे।
एक किंवदंती यह भी है कि बैजू बावरा ने तानसेन को एक प्रतियोगिता में हरा दिया था, जिसके बाद अकबर की ओर से बैजू बावरा को अकबर के दरबार में संगीतज्ञ बनने का प्रस्ताव मिला था, लेकिन वह वापस ग्वालियर लौट आए।
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Source: tiengtrunghaato.edu.vn